Thursday, July 25, 2013

कुछ वक़्त मिलेगा?

आदत थी मुझको, सौ दोस्त अज़ीज़ जो थे मेरे,
कहीं अकेले जाने का तो सवाल ही नहीं था.

आज अकेले , अपने शहर से इतनी दूर,
इस coffee-shop में बैठी हूँ,
फोन की contact list में जाने पहचाने नाम ढूँढ रही हूँ.

बड़ी शर्म आ रही है, कैसे पूछूँ? कैसे वक़्त माँगूँ किसी का?
कोई पूछे तो किसी अजनबी की सोहबत को दोस्ती बताती हूँ.

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